NPCI ने Startek L1 डिवाइस क्यों बंद किया? AEPS कारोबार अब मज़ाक क्यों बन चुका है? (पूरी सच्चाई)
NPCI ने Startek L1 डिवाइस क्यों बंद किया?
AEPS कारोबार अब घाटे का सौदा क्यों बनता जा रहा है — सच्चाई जो कोई नहीं बताता**
भूमिका
क्या आप जानते हैं कि NPCI (National Payments Corporation of India) ने हाल ही में Startek L1 बायोमेट्रिक डिवाइस की AEPS सेवा को बंद कर दिया है?
इससे पहले Mantra L0 डिवाइस पहले ही बंद किया जा चुका था, और अब Startek L1 पर भी रोक लगा दी गई है।
सबसे बड़ा सवाल यह है—
जब कंपनियों ने खुद L1 में अपग्रेड करने को कहा, तो फिर कुछ ही समय में उसे बंद क्यों कर दिया गया?
क्या यह सिर्फ़ टेक्निकल फैसला है, या AEPS सिस्टम में कुछ गहरी समस्याएँ छुपी हैं?
AEPS अब पहले जैसा क्यों नहीं रहा? — एक CSP की ज़मीनी हकीकत
मैं खुद AEPS का काम करता हूँ, और सच बोलूँ तो—
- दिन भर में मुश्किल से ₹150–₹200 की कमाई होती है
- ज़्यादातर ग्राहक अब UPI का इस्तेमाल कर रहे हैं
- आधार कैश विदड्रॉल करने वाले लोग बहुत कम रह गए हैं
पहले AEPS एक भरोसेमंद कमाई का ज़रिया था,
आज यह मेंटेनेंस + रिस्क + इन्वेस्टमेंट का बोझ बन चुका है।
डिवाइस का खेल: L0 बंद → L1 खरीदो → फिर L1 भी बंद
- पहले Mantra L0 बंद हुआ
- मजबूरी में लोगों ने Mantra L1 खरीदा
- फिर Startek L1 पर शिफ्ट किया
- अब Startek L1 भी बंद
एक बायोमेट्रिक डिवाइस की कीमत ₹3,500–₹4,000 तक होती है।
हर बार CSP से यही कहा जाता है—
“नया डिवाइस खरीदो, पुराना अब सपोर्ट में नहीं है।”
यह सुधार नहीं, खुला मज़ाक है।
क्या अभी Startek L1 फेंक देना चाहिए? — बिल्कुल नहीं
यहाँ एक बड़ी गलती मत कीजिए:
- हो सकता है यह अस्थायी रोक (Temporary Suspension) हो
- संभव है कि कुछ समय बाद अपडेट के साथ सेवा फिर चालू कर दी जाए
👉 इसलिए डिवाइस फेंके नहीं।
👉 नया डिवाइस अभी बिल्कुल न खरीदें।
जब तक आधिकारिक सूचना न आए—
रुकना ही सबसे समझदारी है।
NPCI / UIDAI की तरफ़ से अभी तक कोई आधिकारिक नोटिस नहीं
यह बात साफ़ समझ लीजिए—
- अभी तक NPCI या UIDAI की तरफ़ से कोई स्पष्ट आधिकारिक नोटिफिकेशन सार्वजनिक नहीं हुआ है
- इसलिए पुख्ता तौर पर यह कहना मुश्किल है कि:
- यह टेक्निकल इश्यू है
- लाइसेंस सस्पेंशन है
- या सिक्योरिटी से जुड़ा फैसला
लेकिन ज़मीनी रिपोर्ट कुछ और ही इशारा कर रही है।
असली वजह क्या हो सकती है? — बढ़ता फ्रॉड
मेरे अनुभव और उपलब्ध जानकारी के अनुसार,
Startek L1 डिवाइस से फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ रहे थे।
फ्रॉड कैसे हो रहा था?
- Clone Fingerprint का इस्तेमाल
- बुज़ुर्ग, अनपढ़ या बच्चों के फिंगरप्रिंट लेकर
- बिना उनकी जानकारी के AEPS विदड्रॉल
जब पीड़ित को बाद में पता चलता है—
- वह बैंक जाता है
- बैंक → NPCI → Cyber Crime में शिकायत जाती है
- जाँच में साफ़ हो जाता है कि
किस डिवाइस से ट्रांजैक्शन हुआ
जब बार-बार शिकायतें एक ही डिवाइस ब्रांड से आने लगें,
तो सिस्टम अपने-आप उस डिवाइस को हाई-रिस्क मान लेता है।
यहीं से Startek L1 पर गाज गिरी
जाँच के दौरान अगर यह साबित होता है कि—
- किसी विशेष डिवाइस से
- सबसे ज़्यादा फ्रॉड केस आ रहे हैं
तो कंपनियाँ और रेगुलेटर सेवा रोक देते हैं,
चाहे नुकसान CSP को ही क्यों न उठाना पड़े।
UIDAI और डिवाइस सर्टिफिकेशन पर बड़ा सवाल
यह सबसे चिंताजनक बिंदु है—
अगर डिवाइस पहले से UIDAI सर्टिफाइड थी,
तो फिर इतनी बड़ी सिक्योरिटी चूक कैसे हुई?
पहले डिवाइस बेचो → फिर बंद करो → फिर नया खरीदवाओ
यह मॉडल CSP के साथ अन्याय है।
मेरी साफ़ सलाह (Ground Reality Based)
- ❌ अभी नया AEPS डिवाइस न खरीदें
- ❌ AEPS को मुख्य कमाई का ज़रिया न मानें
- ✅ जब तक क्लियर नोटिस न आए, इंतज़ार करें
- ✅ UPI, BBPS, Recharge जैसे लो-रिस्क सर्विस पर फोकस करें
जो लोग दिन का ₹1,000–₹2,000 AEPS से निकाल रहे हैं,
उनके लिए भी यह झटका है—
क्योंकि बिना डिवाइस काम ठप हो जाता है।
निष्कर्ष
AEPS सिस्टम आज जिस दिशा में जा रहा है,
वह CSP के लिए न तो सुरक्षित है, न स्थायी।
जब तक:
- डिवाइस पॉलिसी स्थिर न हो
- फ्रॉड कंट्रोल मज़बूत न हो
- और रेगुलेटर पारदर्शिता न लाएँ
तब तक AEPS में भारी निवेश
जोखिम से भरा फैसला है।
अगर यह पोस्ट आपको उपयोगी लगी हो,
तो इसे अपने CSP / AEPS Circle के दोस्तों के साथ ज़रूर साझा करें—
ताकि वे भी बिना सोचे-समझे पैसा बर्बाद न करें।
जय श्री राम।
Join the conversation